सावन कब से है 2023 में:
2023 में, सावन महीना 25 जून, रविवार से शुरू होगा और 23 जुलाई, सोमवार तक चलेगा। इस महीने का महत्वपूर्ण समय हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित है। सावन का महीना हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ और श्रावण माह के मध्य में आता है और इसे श्रावण के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।
सावन में क्या धार्मिक उत्सव होते हैं:
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श्रावण सोमवार: हर सोमवार को शिव-पूजा की जाती है और शिव लिंग पर जल की चढ़ाई की जाती है।
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हरितालिका तीज: इस त्योहार में स्त्रीयां व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती की कथा सुनती हैं।
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कांवड़ यात्रा: कांवड़ यात्रा में शिव मंदिर तक गंगा जल लेकर पहुँचने का और उसे शिवलिंग पर चढ़ाने का परम्परागत आयोजन है।
सावन के महत्व:
सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसके दौरान भगवान शिव की पूजा विशेष मानी जाती है और भक्ति भाव से उनकी प्राप्ति होती है। सावन के महीने में भक्त ध्यान, तपस्या, और पूजा आदि धार्मिक क्रियाएं करके अपने मन, शरीर, और आत्मा को पवित्र करने का प्रयास करते हैं।
सावन के शेष महीने क्यों महत्वपूर्ण होते हैं:
इस धार्मिक अवसर में श्रावण का अंतिम क्षण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान भगवान शिव को विशेष भाव से पूजना चाहिए। सावन के शेष महीने में भक्त अपने ध्यान को एकीकृत करके उनकी भक्ति में स्थिरता स्थापित कर सकते हैं। यह सावन के पूजन में अधिक महत्वपूर्ण महिमा और शक्ति का संदेश है।
सावन महीने के अंत में कैसे मनाया जाता है:
सावन के महीने के अंत में, कर्मदा एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। भक्त इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु को पूजते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस तरह, सावन के महीने को श्रीकृष्ण के आषाढ़ और श्रावण मास में समाप्त कर जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है।
सावन महीने में क्या खास भोजन बनाया जाता है:
- भगवान शिव की प्रिय अड़कारी: सावन के महीने में भगवान शिव को प्रिय सब्जी मानी जाती है।
- बूटी का प्रसाद: भगवान शिव की पूजा में प्रसाद के रूप में बूटी का खास पकवान बनाया जाता है।
- खीर: सावन का महीना भगवान शिव को खीर का प्रसाद बनकर चढ़ाया जाता है।
सावन के महीने में कैसे पूजा विधि बनाएं:
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
- बेल पत्र चढ़ाएं
- कुमकुम और चावल चढ़ाएं
- धूप और दीप जलाएं
- मंत्र जप करें
सावन महीने की प्रमुख परंपराएं:
- कांवड़ यात्रा
- हरितालिका तीज
- कांवड़ पूजा
- नाग पंचमी
सावन के महीने में क्या नहीं करें:
- मांस खाना
- शराब पीना
- अनादर करना
- झूठ बोलना
सावन पूजा के अवसर पर अनुष्ठान कैसे करें:
- रात्रि के समय में उठकर इस मंत्र का जप करें: “ॐ नमः शिवाय”
- शिवलिंग को जल से स्नान कराएं
- सफेद फूल चढ़ाने के भी प्राथना करें
सावन में भिन्न प्राक्रितिक में विशेषता:
बारिश: सावन महीने में वर्षा ऋतु का आगमन होता है और भगवान इंद्र की पूजा भी की जाती है।
जल की महत्वता: सावन के महीने में जल की महत्वता भी बढ़ जाती है और स्नान, जलाभिषेक आदि गतिविधियाँ भी विशेष रूप से की जाती है।
पवित्र मंत्र: सावन के महीने में मन्त्र-जाप और पवित्रता की महत्वता बढ़ जाती है और आत्मा के शुद्धिकरण के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होता है।
सावन के महीने में उपयोगी प्रश्न (FAQs):
1. सावन महीने में मंदिर कैसे जाएं?
सावन महीने में मंदिर जाने से पहले दुकानदारी का मार्ग पहनकर, जल स्नान करके, गंगाजल की बोतल अपने साथ रखकर और शिव जी के भगार्थ तांबे की पूर्ति लेकर जाएं।
2. सावन महीने में क्या उपवास करना चाहिए?
सावन महीने में व्रत रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। सोमवार के दिन विशेष रूप से व्रत रखना चाहिए और सावन के प्रत्येक सोमवार को दान और पूजा करना चाहिए।
3. सावन महीने में कौन-कौन से पूजा-पाठ अच्छे होते हैं?
शिव मंत्र जप, शिव चालीसा का पाठ, मंगलाष्टकम का पाठ, रुद्राष्टकम का पाठ, और शिव ताण्डव स्तोत्र आदि सावन महीने में पूजनीय हैं।
4. क्या है सावन का महत्व?**
सावन महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है और भक्ति भाव से इसे मनाने की प्रथा है।
5. सावन महीने में व्रत रखने के लिए ध्यान और शांति कैसे प्राप्त की जाए?
सावन महीने में व्रत रखते समय, ध्यानाभ्यास और मंत्र-जप से मन को एकाग्र करें और भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर शांति प्राप्त की जा सकती है।
इस रूप में, सावन महीने में भगवान शिव की पूजा और श्रावण के पावन में नाम ही जाता है। यह महीना भक्ति, ध्यान, और पवित्रता के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है और सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से मनाया जाता है।